सरकार से पुनरुद्धार योजना लागू करने का आग्रह

गुलमर्ग होटलियर एसोसिएशन के अध्यक्ष आकिब छाया ने बताया कि पहले पूरी क्षमता से संचालित होने वाले होटल अब लगभग खाली पड़े हैं और नई बुकिंग लगभग शून्य हो चुकी है।
इस गिरावट का असर केवल होटलों तक सीमित नहीं है—शिकारा चलाने वाले, हाउसबोट मालिक, टैक्सी ड्राइवर, टट्टू संचालक और छोटे विक्रेता भी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
शिकारा चालक बशीर अहमद ने कहा, "यह सिर्फ कारोबार नहीं, जीवनयापन का सवाल बन गया है।"
पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को पूरा रिफंड देने और रद्दीकरण शुल्क माफ करने के निर्देश जारी किए हैं, लेकिन विभाग के किसी अधिकारी ने स्थिति पर आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
वहीं, स्थानीय व्यवसायियों का कहना है कि बिना सरकारी मुआवजे के रिफंड देना उनके लिए भारी आर्थिक बोझ बन गया है।
पर्यटन सीजन के अंत के साथ घाटी में सन्नाटा और बेचैनी बढ़ती जा रही है, और हितधारक अब सरकार से आर्थिक राहत और पर्यटन पुनरुद्धार के लिए ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
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