सेना प्रमुख जनरल द्विवेदी ने अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा समीक्षा की

हर साल लाखों यात्री अमरनाथ गुफा मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं जो दक्षिण कश्मीर में 12,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।


श्रीनगर, 23 जून : थल सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शनिवार को कश्मीर क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था की व्यापक समीक्षा की और आगामी श्री अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए की जा रही तैयारियों का आकलन किया। यह यात्रा इस वर्ष 3 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन संपन्न होगी।

रक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त लोक सूचना महानिदेशालय (एडीजी-पीआई) ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के माध्यम से जानकारी साझा करते हुए बताया कि जनरल द्विवेदी को वर्तमान परिचालन गतिशीलता और रणनीतिक परिदृश्य के संबंध में अवगत कराया गया। इस दौरान, संचालन में उन्नत तकनीकों के एकीकरण पर एक प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया, जिससे निर्णय लेने, निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र को और अधिक सशक्त बनाया जा सके।

पोस्ट में कहा गया, “जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कश्मीर क्षेत्र में सुरक्षा ग्रिड की समीक्षा की और आगामी श्री अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए तैयारियों का आकलन किया। उन्हें वर्तमान परिचालन गतिशीलता और व्यापक रणनीतिक परिदृश्य के बारे में जानकारी दी गई, जिसमें उन्नत तकनीकों के एकीकरण का प्रदर्शन भी शामिल था।”

इसके अतिरिक्त, सेना प्रमुख ने आतंकवाद-रोधी अभियानों, शांति बनाए रखने और क्षेत्रीय विकास में लगे चिनार कोर के सैनिकों की अटल प्रतिबद्धता और सेवा भावना की सराहना की। उन्होंने कहा कि सैनिकों के प्रयासों ने न केवल सुरक्षा की दृष्टि से संतुलन कायम किया है, बल्कि स्थानीय जनता के जीवन स्तर में सुधार लाने में भी योगदान दिया है।

एडीजी-पीआई की पोस्ट में आगे कहा गया, “#COAS ने क्षेत्र के विकास और स्थानीय आबादी के उत्थान के उद्देश्य से निर्णायक आतंकवाद-रोधी अभियानों और पहलों के माध्यम से शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में चिनार कोर की भूमिका की सराहना की।”

इससे पहले शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से पहलगाम में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) परिदृश्य का अनुकरण करते हुए एक मॉक ड्रिल आयोजित की गई। इस अभ्यास का उद्देश्य श्री अमरनाथ यात्रा के दौरान किसी भी संभावित प्राकृतिक आपदा से निपटने की तैयारी का आकलन करना था।

यह मॉक ड्रिल अनंतनाग जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, भारतीय सेना और अन्य आपातकालीन सेवाओं के समन्वय से आयोजित की गई, जिसमें जल-प्रलय, दुर्घटनाएं और आपदा स्थितियों से निपटने की रणनीतियों को परखा गया।

जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन विभाग की उप सचिव स्नोबर जमील ने कहा, “यह यात्रा हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि किसी भी प्रकार की आपदा के लिए हमारी तैयारियाँ पूरी हों। आजकल बादल फटना और अन्य प्रकार की चरम मौसम की घटनाएँ आम हो गई हैं, जिसके चलते पूर्व तैयारी अनिवार्य हो गई है।” उन्होंने यह भी जानकारी दी कि त्वरित प्रतिक्रिया के लिए कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।

गौरतलब है कि वर्ष 2024 में 4.5 लाख से अधिक श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा में शामिल हुए थे, जिसके मद्देनज़र इस वर्ष सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधा और आपदा प्रबंधन को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है। प्रशासन की प्राथमिकता इस बार भी श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करना है।

इस प्रकार, श्री अमरनाथ यात्रा 2025 की तैयारियों को लेकर सेना और प्रशासन दोनों ही स्तरों पर व्यापक समन्वय देखा जा रहा है, जो एक सुरक्षित और सफल यात्रा की आधारशिला रखता है।


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