
एनआईए द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पहलगाम के बटकोट निवासी परवेज अहमद जोथर तथा हिल पार्क निवासी बशीर अहमद जोथर को गिरफ्तार किया गया है। इन दोनों पर हमले को अंजाम देने वाले तीन सशस्त्र आतंकवादियों को शरण देने, भोजन, आश्रय और रसद सहायता उपलब्ध कराने का आरोप है।
बयान में आगे बताया गया है कि गिरफ्तार आरोपियों ने आतंकवादियों की पहचान उजागर की है, और यह पुष्टि की है कि वे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) नामक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन से जुड़े पाकिस्तानी नागरिक थे।
एनआईए की जांच के अनुसार, परवेज और बशीर ने जानबूझकर इन आतंकवादियों को हमले से पहले हिल पार्क क्षेत्र में एक मौसमी झोपड़ी (ढोक) में पनाह दी थी। इसके बाद, आतंकियों ने 22 अप्रैल 2025 को बैसरन घाटी, पहलगाम में धार्मिक पहचान के आधार पर निर्दोष पर्यटकों को चुन-चुन कर निशाना बनाया, जिससे यह हमला जम्मू-कश्मीर के इतिहास में अब तक की सबसे वीभत्स घटनाओं में से एक बन गया।
एजेंसी ने दोनों आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया है। एनआईए द्वारा इस घटना को लेकर RC-02/2025/NIA/JMU केस नंबर के तहत जांच की जा रही है। एजेंसी के अनुसार, इस गिरफ्तारी से हमले के मास्टरमाइंड और उनके नेटवर्क की पहचान स्थापित करने में महत्वपूर्ण सफलता मिली है।
हमले के बाद जम्मू-कश्मीर भर में सुरक्षा बलों द्वारा बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया गया था, जिससे कई सुराग हाथ लगे। हालाँकि यह गिरफ्तारी इस पूरे प्रकरण में अब तक की सबसे निर्णायक सफलता मानी जा रही है।
गौरतलब है कि 22 अप्रैल को हुए इस जघन्य हमले ने देशभर में आक्रोश फैला दिया था। सरकार ने जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा था, जिसने उच्च स्तरीय जांच के बाद अब पहली बार आतंकवादियों के स्थानीय मददगारों को बेनकाब किया है।
एनआईए की आगे की जांच अभी जारी है और एजेंसी इस नेटवर्क से जुड़े अन्य संदिग्धों की पहचान तथा गिरफ्तारियों के लिए काम कर रही है, ताकि इस प्रकार के भविष्य के हमलों को रोका जा सके।
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