सोमवार दोपहर को सूखी घास के ढेर से आग लगनी शुरू हुई तथा तेज हवाओं के कारण यह गांव में तेजी से फैल गई।
सोमवार दोपहर को सूखी घास के ढेर में आग लगनी शुरू हुई तथा तेज हवाओं के कारण यह गांव में तेजी से फैल गई।
स्थानीय लोगों और घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग की लपटें इतनी तेज थीं कि स्थानीय लोग आग पर काबू नहीं पा सके और पूरा गांव जलकर राख हो गया।
वारवान निवासी अब्दुल रहमान मेहरो ने बताया कि पिछले 15 सालों में यह पांचवीं आग की घटना है, जिसमें मार्गी, सुखनई, चोइद्रमन, वीरवरवान तथा मुलवरवान सहित पांच गांव तबाह हो गए। मेहरो ने बताया कि अकेले वारवान तहसील में आग की पिछली घटनाओं में सैकड़ों घर जलकर खाक हो गए हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि दूर-दराज के वारवान घाटी में हुए इस विनाश के लिए किश्तवाड़ जिला प्रशासन जिम्मेदार है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बार-बार मांग और विरोध के बावजूद, किश्तवाड़ जिला प्रशासन वारवान तथा मारवाह उपखंड में अग्निशमन केंद्र स्थापित करने में विफल रहा है, जिससे आपदा और बढ़ गई है।
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्षेत्र में एक अग्निशमन केंद्र स्थापित करने का आग्रह किया।
इस बीच, किश्तवाड़ के उपायुक्त राजेश कुमार शवन ने प्रभावित परिवारों के लिए रेड क्रॉस से तत्काल राहत के रूप में 5 लाख रुपये जारी किए।
अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा रसद सहायता और व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
उप जिला मजिस्ट्रेट (एसडीएम) मारवाह, मुहम्मद अशरफ ने संवाददाताओं को बताया कि मुलवारवान का पूरा गांव मलबे से भरा हुआ था, जिससे यह पहचानना मुश्किल हो गया था कि कौन सा घर आवासीय है और कौन सा नहीं।
उन्होंने कहा, "अंतिम आकलन से पहले हम केवल यह कह सकते हैं कि लगभग 40 से 45 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं।"
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