
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा, "उच्च न्यायालय जाइए।"
पीठ ने आदेश दिया, "हम भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर वर्तमान याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं और याचिकाकर्ता को भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका के माध्यम से क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता देते हैं।" पीठ में न्यायमूर्ति संजय कुमार भी शामिल थे। पीठ ने स्पष्ट किया कि उसने "गुण-दोष पर कोई राय" व्यक्त नहीं की है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 तथा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन अधिनियम 2013 के अनुसार, सभी पांच मनोनीत सदस्यों को सरकार गठन में मतदान का अधिकार होगा।
मनोनीत सदस्यों में दो महिलाएं होंगी, दो कश्मीरी पंडित विस्थापित समुदाय से होंगे, जिनमें कम से कम एक महिला होगी, तथा एक पश्चिमी पाकिस्तान शरणार्थी होगा।
शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर स्थित राजभवन में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की तथा सरकार बनाने का दावा पेश किया।
90 सदस्यीय विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के 42 सदस्य हैं, जबकि उसके सहयोगी कांग्रेस के छह: तथा सीपीआई-एम का एक सदस्य हैं। भाजपा के 29, पीडीपी के तीन, आप और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के एक-एक तथा सात निर्दलीय हैं।
विधानसभा चुनाव जीतने वाले 7 निर्दलीय उम्मीदवारों में से प्यारे लाल शर्मा, सतीश शर्मा, मोहम्मद चौधरी अकरम, डॉ. रामेश्वर सिंह तथा मुजफ्फर इकबाल खान समेत ज्यादातर ने एनसी को समर्थन देने का फैसला किया है। आम आदमी पार्टी (आप) के एकमात्र विजेता मेहराज मलिक ने भी कहा है कि वह एनसी को समर्थन देंगे।
अब्दुल्ला ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर कैबिनेट का पहला काम राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रस्ताव पारित करना होगा। उन्होंने कहा, "कैबिनेट का पहला काम केंद्र से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रस्ताव पारित करना होना चाहिए। इसके बाद मुख्यमंत्री को प्रस्ताव लेकर दिल्ली जाना चाहिए तथा सरकार से राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कहना चाहिए।"
उमर अब्दुल्ला ने स्वीकार किया कि ऐसी आशंकाएं हैं कि केंद्र शासित प्रदेश में सरकार की शक्तियां सीमित होंगी।
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