अनुच्छेद 370 ने ऐसी सोच को जन्म दिया जिससे आतंक की फैक्ट्रियां पैदा हुईं: गृह मंत्री


श्रीनगर 19 अगस्त : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि अनुच्छेद 370 ने उस सोच को पोषित किया जिसके कारण आतंक की फैक्ट्रियों का जन्म हुआ।

उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत 188 शरणार्थियों को नागरिकता प्रमाण पत्र वितरित करते हुए कहा, “अनुच्छेद 370, जिसने उस सोच को पोषित किया जिसके कारण आतंक के कारखाने पैदा हुए तथा  जो उनके चालू होने का मुख्य कारण था, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाप्त कर दिया।” इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी उपस्थित थे।

गृह मंत्री शाह ने कहा, "550 साल बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने का काम पीएम मोदी ने ही किया। इसी तरह औरंगजेब द्वारा ध्वस्त किए गए काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया है। मुहम्मद बेगड़ा द्वारा नष्ट किए गए पावागढ़ के शक्तिपीठ का भी जीर्णोद्धार किया गया है। भारत में ट्रिपल तलाक को खत्म करने का काम भी पीएम मोदी ने ही किया है।"

उन्होंने कहा कि सीएए में किसी की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है, यह नागरिकता देने का कानून है।

शाह ने कहा, ‘‘इस कानून में किसी की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है और यह नागरिकता देने का कानून है।’’

उन्होंने कहा कि यह कानून 2019 में पारित किया गया था लेकिन उसके बाद भी लोगों को भड़काया गया और कहा गया कि इससे मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी।

शाह ने कहा कि सीएए सिर्फ देश में बसे लाखों लोगों को नागरिकता देने के लिए नहीं है, बल्कि लाखों शरणार्थियों को न्याय और अधिकार प्रदान करने के लिए है।

उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की तुष्टिकरण नीति के कारण 1947 से 2014 तक देश में शरण लेने वाले लोगों को उनके अधिकार और न्याय नहीं मिला।

उन्होंने कहा कि ये लाखों लोग तीन पीढ़ियों से न्याय के लिए तरस रहे थे लेकिन विपक्ष की तुष्टिकरण नीति के कारण उन्हें न्याय नहीं मिला।

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन लाखों-करोड़ों लोगों को न्याय दिलाया है।

उन्होंने कहा कि आजादी के समय भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था और उस समय भयंकर दंगे हुए थे।

गृह मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले करोड़ों हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई अपने कष्टों को नहीं भूल सकते।

उन्होंने कहा कि कई परिवार उजड़ गए, जबकि आज विपक्ष में बैठे लोगों ने वादा किया था कि पड़ोसी देशों से आने वाले हिंदू, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।

शाह ने कहा कि चुनाव आते-आते तत्कालीन सरकार के नेता अपने वादों से मुकर गए और 1947, 1948 और 1950 में किए गए आश्वासन भूल गए।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार ने इन लोगों को नागरिकता नहीं दी क्योंकि इससे उनका वोट बैंक नाराज हो जाता।

गृह मंत्री ने कहा कि उनकी तुष्टिकरण की नीति के कारण लाखों लोगों को नागरिकता से वंचित होना पड़ा और इससे बड़ा कोई पाप नहीं हो सकता।

उन्होंने कहा कि करोड़ों लोग पलायन कर गए और कष्ट झेले, तथा कइयों ने अपने परिवार और संपत्ति खो दी, लेकिन यहां भारत में उन्हें नागरिकता तक नहीं मिली।

शाह ने कहा कि 1947 से 2019 और 2019 से 2024 तक की यात्रा को इस देश का इतिहास हमेशा याद रखेगा।

उन्होंने पूछा कि आत्मसम्मान की तलाश में पड़ोसी देशों से भारत आए लोगों को नागरिकता क्यों नहीं दी जा सकती।

गृह मंत्री ने कहा कि एक तरफ विपक्ष ने सीमा पार से घुसपैठ कराकर करोड़ों लोगों को अवैध रूप से भारत का नागरिक बना दिया और दूसरी तरफ कानून का पालन करने वालों को बताया गया कि उनकी नागरिकता के लिए कोई कानूनी प्रावधान नहीं है।

शाह ने कहा, ‘‘हमने 2014 में वादा किया था कि हम सीएए लाएंगे और 2019 में मोदी सरकार यह कानून लेकर आई’’ उन्होंने कहा कि कानून जनता के लिए है, न कि जनता कानून के लिए। 

उन्होंने कहा कि इस कानून के माध्यम से करोड़ों हिंदू, जैन, बौद्ध और सिखों को न्याय मिलना शुरू हुआ, जिन्हें न्याय नहीं मिलता था।

गृह मंत्री ने कहा, ‘‘हमारे ही देश के लोग अपने ही देश में अभाव में जी रहे हैं, इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण और विडंबना क्या हो सकती है?’’

उन्होंने कहा कि तुष्टीकरण की नीति के कारण जो काम कई वर्षों तक नहीं हो सका, वह पीएम मोदी ने किया और 2019 में यह कानून लेकर आए।

शाह ने कहा कि 2019 में कानून पारित होने के बाद भी इन परिवारों को 2024 तक नागरिकता नहीं मिली क्योंकि देश में दंगे भड़काए गए और अल्पसंख्यकों को भड़काया गया।

उन्होंने कहा कि सीएए को लेकर देश में अफवाहें फैलाई गईं।

गृह मंत्री ने कहा, ‘‘यह कानून किसी की नागरिकता नहीं छीनता और यह हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध शरणार्थियों को नागरिकता देने का कानून है।’’

उन्होंने कहा कि आज भी कुछ राज्य सरकारें लोगों को गुमराह कर रही हैं।

शाह ने देश भर के शरणार्थियों से अपील की कि वे नागरिकता के लिए आवेदन करने में संकोच न करें और इससे उनकी नौकरियां और घर पहले की तरह बरकरार रहेंगे।

उन्होंने कहा कि इस कानून में किसी भी तरह के आपराधिक मुकदमे का प्रावधान नहीं है और सभी को माफी दी गई है। गृह मंत्री ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि नागरिकता देने में देरी सरकार की वजह से हुई, लोगों की वजह से नहीं।

उन्होंने देशभर के शरणार्थियों से कहा कि यह कानून न्याय और सम्मान देने का काम करेगा तथा शरणार्थी लोगों पर हुए अत्याचारों का प्रायश्चित होगा।

शाह ने कहा कि जब बंटवारा हुआ था, तब बांग्लादेश में 27 प्रतिशत हिंदू थे, आज केवल 9 प्रतिशत बचे हैं। गृह मंत्री ने कहा, "बाकी हिंदू कहां गए? उनका जबरन धर्म परिवर्तन किया गया।"

उन्होंने कहा, "हमारे आश्रय में आए लोगों को आत्म-सम्मान की जिंदगी जीने और अपनी इच्छा के अनुसार अपने धर्म का पालन करने का हक है?" "अगर पड़ोसी अपने देश में सम्मान के साथ नहीं रह सकते तथा हमारे आश्रय में आते हैं, तो हम मूकदर्शक बने नहीं रह सकते।"

शाह ने कहा कि यह नरेन्द्र मोदी सरकार है और इस सरकार में इन लोगों को न्याय मिलेगा।

उन्होंने कहा कि शरणार्थी लंबे समय से इस कानून को लाने की मांग कर रहे थे और पीएम मोदी ने 2019 में दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ फैसला लिया और कानून पारित कराया।

गृह मंत्री ने कहा कि इस कानून के पारित होने के बाद कुछ स्थानों पर हिंसक घटनाएं हुईं, लेकिन अंततः 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वे आवेदकों को प्रमाण पत्र के साथ नागरिकता का अधिकार प्रदान करने के लिए आवश्यक नियम लाने में सफल रहे।

उन्होंने कहा कि 2014 में पीएम मोदी ने कहा था कि इस देश का लोकतंत्र भाई-भतीजावाद, जातिवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार की चार बुराइयों से ग्रस्त है।

शाह ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी ने इन चारों बुराइयों को जड़ से उखाड़ने के लिए अथक प्रयास किया है।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने वंशवादी राजनीति के खिलाफ अपील करते हुए एक लाख युवाओं से राजनीति में शामिल होने को कहा था, जिनके परिवार के सदस्य राजनीति में नहीं हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी और जातिवाद की बुराई को खत्म करने के लिए चार जातियों – गरीब, महिला, युवा और किसान – की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने देश के सामने एक नए तरह का राजनीतिक दर्शन रखा और तुष्टिकरण की राजनीति को भी खत्म किया। शाह ने कहा कि इस देश में कई ऐसे मुद्दे थे जो दशकों से अटके हुए थे।

उन्होंने कहा, ‘‘नागरिकता कानून में संशोधन भी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाया गया और करोड़ों हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन भाइयों को न्याय दिया गया जो अपने अधिकारों से वंचित थे।’’ गृह मंत्री ने देशभर के शरणार्थियों से अपील की कि विपक्षी दल उन्हें गुमराह करने की कोशिश करेंगे, लेकिन उन्हें डरना नहीं चाहिए।

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को गुमराह करने वालों को पता होना चाहिए कि वे उनके साथ अन्याय कर रहे हैं। विपक्ष का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि उन्होंने इस कानून को लाने की हिम्मत नहीं की, लेकिन अब कम से कम उन्हें इसे लागू करने में मोदी सरकार का साथ देना चाहिए।

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