जम्मू-कश्मीर सरकार ने वाज़वान और रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों में प्रतिबंधित सिंथेटिक खाद्य रंगों के खिलाफ चेतावनी दी; उल्लंघन करने वालों पर 3 लाख रुपये का जुर्माना

बयान में कहा गया है, "खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 59 के अनुसार, इस तरह के उल्लंघन दंडनीय हैं और इसके लिए तीन महीने तक की कैद और 3,00,000 (तीन लाख) तक का जुर्माना हो सकता है।"


श्रीनगर, 8 अगस्त : जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर तैयार (रेडी-टू-ईट) खाद्य पदार्थों, जैसे वज़वान व्यंजन, बिरयानी, अचार और अन्य मांसाहारी व्यंजनों में प्रतिबंधित सिंथेटिक खाद्य रंगों के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि ऐसे रंगों की मौजूदगी जन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है।

सार्वजनिक सूचना के अनुसार, राष्ट्रीय खाद्य प्रयोगशाला, गाजियाबाद की हालिया विश्लेषणात्मक रिपोर्ट से पता चला है कि तैयार खाद्य पदार्थों जैसे कबाब, बिरयानी, अचार और चिकन टिक्का के कुछ नमूने सिंथेटिक खाद्य रंगों, जैसे कार्मोइसिन, टारट्राजिन और एरिथ्रोसिन की उपस्थिति के कारण असुरक्षित पाए गए हैं।

इसमें कहा गया है कि "खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियम, 2011 के विनियमन 3.1.2 और परिशिष्ट ए के अनुसार, वज़वान, बिरयानी, अचार और अन्य मांस-आधारित तैयारियों (तैयार-से-खाने) जैसे तैयार खाद्य पदार्थों में सिंथेटिक खाद्य रंगों का उपयोग निषिद्ध है। ऐसे प्रतिबंधित सिंथेटिक रंगों की उपस्थिति सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की धारा 59 के अनुसार, इस तरह के उल्लंघन दंडनीय हैं और एक अवधि के लिए कारावास को आकर्षित कर सकते हैं जो तीन महीने तक बढ़ सकता है, और जुर्माना भी हो सकता है जो ₹3,00,000 (तीन लाख) तक बढ़ सकता है।"

नोटिस में सलाह दी गई है कि सभी खाद्य व्यापार संचालकों (एफबीओ) को, जो रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से मांस आधारित उत्पादों जैसे कबाब, वज़वान, बिरयानी, चिकन टिक्का, अचार आदि के निर्माण, तैयारी, प्रसंस्करण, बिक्री या सेवा में लगे हैं, सलाह दी जाती है कि वे किसी भी तैयार खाद्य पदार्थ में सिंथेटिक खाद्य रंगों के उपयोग से सख्ती से बचें।

यह नोटिस जन स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के हित में जारी किया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि सभी हितधारकों से सहयोग की अपेक्षा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपभोक्ताओं तक केवल सुरक्षित और पौष्टिक भोजन ही पहुँचे।

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