स्वास्थ्य अधिकारी स्थिति की सतत निगरानी कर रहे हैं और जन सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, सभी मरीजों में जलजनित बीमारी के लक्षण जैसे पेट दर्द, बुखार, दस्त और निर्जलीकरण पाए गए, जिससे तीव्र गैस्ट्रोएंटेराइटिस का संदेह जताया जा रहा है। इनमें से चार मरीजों की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें राजौरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में रेफर किया गया है। फिलहाल सभी मरीजों की हालत स्थिर बताई जा रही है।
मेडिकल टीम का नेतृत्व कर रहे एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि गांव में स्थिति की निगरानी के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची है, जिसने तीन स्थानीय कुओं से पानी के नमूने एकत्र किए हैं। जिला प्रशासन ने एहतियातन इन जल स्रोतों को जांच के नतीजों तक सील कर दिया है।
स्वास्थ्य विभाग ने जनता को आश्वस्त करते हुए कहा है कि जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। अधिकारियों ने इस बीमारी को गंभीरता से लेते हुए स्थिति पर कड़ी निगरानी रखी है।
गौरतलब है कि इससे पहले इसी जिले के बधाल गांव में 7 दिसंबर 2024 से 19 जनवरी 2025 के बीच रहस्यमय बीमारी के चलते 13 बच्चों और 4 वयस्कों सहित 17 लोगों की मौत हो चुकी है। उस समय प्रशासन ने पूरे गांव को निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर सभी निवासियों को एक क्वारंटीन केंद्र में स्थानांतरित कर दिया था, जहां वे एक महीने से अधिक समय तक रहे।
स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जिससे बीमारी के स्रोत की पुष्टि हो सके। Meanwhile, अधिकारियों ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे केवल उबला हुआ और साफ पानी ही उपयोग करें तथा किसी भी लक्षण की सूचना तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र को दें।
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