सेना के सूत्रों ने बताया कि सांबा सेक्टर में तुलनात्मक रूप से बहुत कम संख्या में ड्रोन आए हैं और उन पर कार्रवाई की जा रही है तथा इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है।

सुबह रियासी में स्कूल खुलने के साथ छात्र-छात्राएं पढ़ाई के लिए लौटते नजर आए, जिससे क्षेत्र में सामान्य स्थिति का संकेत मिला। हालांकि, सांबा के सीमावर्ती गांवों में सोमवार रात हुए धमाकों और पाकिस्तानी ड्रोनों की गतिविधियों के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।
स्थानीय निवासी दलबीर सिंह ने बताया, "रात को हमें कुछ पता नहीं था, लेकिन तेज आवाजें सुनाई दीं। सुबह देखा तो घर की छत और रसोईघर में छर्रे लगे हुए थे। डर का माहौल बना हुआ है।"
एक अन्य निवासी कृष्ण चंद ने बताया, "धमाके के वक्त हम सभी घर पर थे। ज्यादा नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन डर ज़रूर है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।"
स्थानीय प्रकर सिंह ने बताया कि ड्रोन हमले के दौरान वह अपने बच्चों को शांत कराने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं है। हर बार शांति की पहल को तोड़ देता है।"
सोमवार शाम सांबा सेक्टर में ब्लैकआउट के बीच भारतीय वायु रक्षा बलों ने पाकिस्तानी ड्रोनों की गतिविधियों को रोकने के लिए कार्रवाई की। इस दौरान आकाश में लाल धारियाँ देखी गईं और कई विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं।
सेना सूत्रों ने बताया कि सीमा पर आए ड्रोनों की संख्या कम थी और उन पर आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। फिलहाल किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं है, और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
इस बीच, रियासी जिले में हालात अपेक्षाकृत शांत हैं और लोग रोजमर्रा के कामकाज में लौट आए हैं। सीमा पर शांति की यह पहल लोगों को राहत देती नजर आ रही है, हालांकि कुछ इलाकों में अब भी डर कायम है।
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