लक्षित परीक्षण के कारण कश्मीर अब तक कोविड-19 मुक्त बना हुआ है

उन्होंने सावधानीपूर्वक कहा कि आने वाला समय ही बताएगा कि क्या पहले के वैरिएंट के खिलाफ टीकाकरण, ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट, जो प्रसारित हो रहे हैं – जेएन.1, एनबी.1.8.1 और एलएफ.7 के खिलाफ प्रभावी होगा या नहीं।


श्रीनगर, 28 मई : भारत के विभिन्न हिस्सों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि दर्ज की जा रही है, वहीं कश्मीर अब तक इससे अछूता रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में अब तक कोविड-19 का कोई पुष्ट मामला सामने नहीं आया है। हालांकि गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (SARI) और तीव्र श्वसन संक्रमण (ARI) के मरीजों की कोविड-19 जांच जारी है, लेकिन राज्य में यादृच्छिक परीक्षण अनिवार्य नहीं किया गया है, जिससे निष्क्रिय निगरानी की स्थिति बनी हुई है।

सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) श्रीनगर के पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नवीद नजीर शाह ने बताया कि अस्पतालों में अभी तक कोविड-19 का कोई मरीज नहीं भर्ती हुआ है। उन्होंने कहा, “हम निमोनिया और अन्य श्वसन संक्रमण के मरीजों की कोविड जांच एहतियातन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई चिंता की बात नहीं है। हम आईसीएमआर की गाइडलाइंस के अनुसार तैयार हैं।”

वहीं, शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) सौरा के पूर्व निदेशक और प्रसिद्ध इन्फ्लूएंजा विशेषज्ञ प्रोफेसर परवेज कौल ने बताया कि वैश्विक स्तर पर कोविड-19 मामलों में इज़ाफा हो रहा है, लेकिन मृत्यु दर कम बनी हुई है। उन्होंने कहा, “हालांकि नए वेरिएंट्स — JN.1, NB.1.8.1 और LF.7 — के खिलाफ पुराने टीकों की प्रभावशीलता स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ हद तक सुरक्षा की उम्मीद की जा सकती है।”

प्रो. कौल ने निवारक उपायों जैसे मास्क पहनने और भीड़-भाड़ से बचने पर ज़ोर देते हुए कहा, “सावधानी ही सबसे बड़ा उपाय है। यह मान लेना कि कोई मामला नहीं है, जोखिम भरा हो सकता है।”

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 26 मई 2025 तक भारत में कोविड-19 के 1,009 सक्रिय मामले हैं, जिनमें केरल और महाराष्ट्र में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। आईसीएमआर और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) लगातार स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं।



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