जेकेडीएमए ने बांदीपोरा और श्रीनगर में 'जंगल में आग लगने का बहुत बड़ा खतरा' बताया

पिछले सप्ताह दक्षिण कश्मीर में जंगलों में आग की कई बड़ी घटनाएं हुईं

श्रीनगर, 03 अप्रैल : कश्मीर में जंगलों में आग लगने की घटनाओं में तेजी आई है, और इस बार पर्यावरणीय कारणों के बजाय मानवीय गतिविधियां और अनियमित कैम्पिंग अधिक प्रमुख कारण बनकर सामने आई हैं। पिछले सप्ताह दक्षिण कश्मीर में आग लगने की कई बड़ी घटनाएं हुईं, जिनमें मंगलवार शाम लिद्दर वन प्रभाग में भीषण आग लग गई। 

वन विभाग और स्थानीय स्वयंसेवकों की कठिन मेहनत के बावजूद, आग ने जंगल के बड़े हिस्से को नष्ट कर दिया। पहलगाम के दचनीपोरा और ऐशमुकाम के खुवरीपोरा बेल्ट में आग के कारण कई महत्वपूर्ण वन क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। आग ने न केवल वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया, बल्कि वन्यजीवों के लिए भी गंभीर खतरे का कारण बनी है। 

लिद्दर की प्रभागीय वन अधिकारी शमा रूही के अनुसार, ईद के दौरान जंगलों में अनियंत्रित कैम्पिंग और ज्वलनशील पदार्थों के कारण आग लगने की घटनाएं बढ़ीं। उन्होंने बताया कि आग पर काबू पाने के लिए वन विभाग, वन सुरक्षा बल, वन्यजीव विभाग, और अन्य टीमों ने मिलकर काम किया। 

मुख्य वन संरक्षक इरफान रसूल ने चेतावनी दी कि जंगलों में अवैध गतिविधियों और आग जलाने से बचे, और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जंगलों की सुरक्षा को सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए, लोगों से अपील की कि वे आग से बचने के लिए आवश्यक सावधानियां बरतें। 

इस बीच, अनंतनाग के अण्डू-शांगस क्षेत्र और श्रीनगर के जबरवान वन क्षेत्र में आग पर काबू पाया गया, हालांकि त्राल में आग से पारिस्थितिकी तंत्र को भारी नुकसान हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ वर्षों में जंगलों के क्षेत्र में गिरावट आई है, जिसका प्रमुख कारण वनों की कटाई और भूमि के रूपांतरण को बताया जा रहा है।


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