न्यायाधिकरण ने जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति (जेकेपीसीसी) को जिले में संचालित सभी वैध तथा अवैध पत्थर क्रशिंग इकाइयों की सूची उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है।
न्यायाधिकरण ने जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण समिति (जेकेपीसीसी) को जिले में संचालित सभी वैध तथा अवैध पत्थर क्रशिंग इकाइयों की सूची उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है।
यह मामला 14.12.2024 को नई दिल्ली में एनजीटी की मुख्य पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया। न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (एनजीटी अध्यक्ष) और डॉ सेंथिल वेल (विशेषज्ञ सदस्य) की पीठ ने प्रसिद्ध कार्यकर्ता डॉ राजा मुजफ्फर भट द्वारा उनके वकील एडवोकेट सौरभ शर्मा के माध्यम से दायर आवेदन पर सुनवाई करते हुए जेकेपीसीसी के सदस्य सचिव को जिला डोडा में चल रहे सभी कानूनी और अवैध स्टोन क्रशरों का विवरण बताते हुए एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
आदेश में कहा गया है, "वह आवेदक के वकील को रिपोर्ट की अग्रिम प्रति प्रदान करेंगे, जो इसे प्राप्त करने के बाद संबंधित उल्लंघन करने वाले स्टोन क्रशर को रोकने के लिए उचित कदम उठाएंगे तथा उन्हें रिपोर्ट सौंपेंगे। प्रतिवादी संख्या 5 (सदस्य सचिव जेकेपीसीसी) भी एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे, जिसमें संबंधित जिले में चिनाब नदी में अवैध खनन तथा मलबा डंप करने की सीमा का खुलासा किया जाएगा।"
मामले में याचिकाकर्ता डॉ. राजा मुजफ्फर भट ने जिला डोडा में लगभग 10-12 स्टोन क्रशरों के अवैध संचालन के खिलाफ शिकायत उठाई और आरोप लगाया कि ये स्टोन क्रशर डोडा शहर के आसपास चिनाब के तट पर 5 से 6 किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं।
आवेदक ने आगे आरोप लगाया है कि डोडा-किश्तवाड़ रोड तथा डोडा-जम्मू रोड पर डोडा जिले के आसपास के पहाड़ों से अवैध पत्थर सामग्री का उत्खनन किया जाता है, और इस उत्खनन सामग्री का उपयोग अवैध पत्थर क्रशरों द्वारा किया जाता है।
याचिकाकर्ता एडवोकेट सौरभ शर्मा के वकील ने सुनवाई के दौरान एनजीटी बेंच को बताया कि अवैध स्टोन क्रशर चेनाब नदी में मलबा डाल रहे हैं तथा पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। साथ ही, ये स्टोन क्रशर इलाके में वायु प्रदूषण भी फैला रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि डोडा शहर भूकंपीय क्षेत्र में आता है और पहले भी यहां जमीन धंसने की घटनाएं हुई हैं तथा पहाड़ों में अवैध खनन से इलाके में विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
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