शांति बनाए रखने तथा सम्प्रभुता की रक्षा के लिए सशस्त्र बलों को हमेशा तैयार रहना होगा : रक्षा मंत्री

उन्होंने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि हम अमृत काल के दौरान अपनी शांति बरकरार रखें। हमें अपने वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने, अपने आस-पास हो रही गतिविधियों पर नज़र रखने तथा भविष्योन्मुखी होने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।"


श्रीनगर 06 सितम्बर : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को सेना, नौसेना तथा वायु सेना के शीर्ष कमांडरों को संबोधित करते हुए कहा कि शांति बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों को हमेशा तैयार रहने की जरूरत है।

यहां प्रथम संयुक्त कमांडर सम्मेलन में अपने संबोधन में सिंह ने यूक्रेन तथा गाजा में चल रहे संघर्षों के साथ-साथ बांग्लादेश की स्थिति का जिक्र करते हुए सेना से इन “प्रकरणों” का विश्लेषण करने तथा “अप्रत्याशित” स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा।

उन्होंने भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए संयुक्त सैन्य दृष्टिकोण विकसित करने के महत्व पर बल देते हुए कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है तथा  शांति बनाए रखने तथा सम्प्रभुता की रक्षा के लिए सशस्त्र बलों को हमेशा तैयार रहने की जरूरत है।

रक्षा मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ चार साल से चल रहे सीमा विवाद का भी जिक्र किया और स्थिति का गहन विश्लेषण करने की वकालत की।

उन्होंने कहा, "वैश्विक अस्थिरता के बावजूद भारत शांति का दुर्लभ लाभ उठा रहा है और शांतिपूर्ण तरीके से विकास कर रहा है। हालांकि, चुनौतियों की बढ़ती संख्या के कारण हमें सतर्क रहने की जरूरत है।"

उन्होंने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि हम अमृत काल के दौरान अपनी शांति बरकरार रखें। हमें अपने वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने, वर्तमान में हमारे आसपास हो रही गतिविधियों पर नज़र रखने और भविष्योन्मुखी होने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।"

सिंह ने कहा, "इसके लिए हमारे पास एक मजबूत और सुदृढ़ राष्ट्रीय सुरक्षा घटक होना चाहिए। हमारे पास विफलता-रहित प्रतिरोध होना चाहिए।"

उन्होंने कमांडरों से सशस्त्र बलों के शस्त्रागार में पारंपरिक और आधुनिक युद्ध उपकरणों के सही मिश्रण की पहचान करने और उसे शामिल करने का भी आह्वान किया।

उन्होंने अंतरिक्ष तथा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में क्षमता विकास पर जोर देते हुए इन्हें आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए अभिन्न अंग बताया।

सिंह ने सैन्य नेतृत्व से डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी प्रगति के उपयोग को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का भी आग्रह किया।

उन्होंने कहा, "ये घटक किसी भी संघर्ष या युद्ध में सीधे तौर पर भाग नहीं लेते हैं। उनकी अप्रत्यक्ष भागीदारी काफी हद तक युद्ध की दिशा तय कर रही है।"

दो दिवसीय सम्मेलन बुधवार को शुरू हुआ, विचार-विमर्श में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने भी शामिल हुए।

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