“कश्मीर के बच्चों ने सिर्फ गोलियां ही देखी हैं”
डेजी रैना, जो दिल्ली में एक निजी कंपनी में काम करती थीं, और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में फ्रिसल गांव की सरपंच भी रह चुकी हैं, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) द्वारा मैदान में उतारी गई एकमात्र उम्मीदवार हैं, जो एनडीए गठबंधन में भाजपा की सहयोगी है।
सुश्री रैना पुलवामा के राजपोरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उनका कहना है कि "युवाओं ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया है, जो चाहते हैं कि वे उनकी आवाज़ बनें।"
सुश्री रैना ने एनडीटीवी को दिये इंटरव्यू में बताया की "युवाओं ने मुझे चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया और मुझसे कहा कि मैं सुनिश्चित करूँ कि उनकी आवाज़ जम्मू-कश्मीर विधानसभा तक पहुँचू। मैं यहाँ एक सरपंच के तौर पर काम कर रही थी और साथ ही, मैं युवाओं से मिलती थी, उनकी बात सुनती थी तथा उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करती थी। हमारे युवा बिना किसी अपराध के भी पीड़ित हैं। 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर में पैदा हुए युवाओं ने सिर्फ़ गोलियाँ ही देखी हैं,"।
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रामदास अठावले ने हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश का दौरा किया तथा कहा कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए। जब सुश्री रैना से पूछा गया कि क्या उसी समय यह तय हो गया था कि वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगी, तो उन्होंने नकारात्मक जवाब दिया।
उन्होंने कहा, "मैंने चुनाव लड़ने के बारे में सोचा भी नहीं था। युवा लोगों ने मुझसे एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनने के लिए कहा और कहा कि मैं पुलवामा को ठीक कर सकती हूं।"
सुश्री रैना ने इस बात पर जोर दिया कि इस क्षेत्र में उनके समुदाय के ज्यादा लोग नहीं रहने के बावजूद उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा।
उन्होंने कहा, "जब मैं यहां काम करने आई थी, तो मैं बिना किसी सुरक्षा के पुलवामा में घूमती थी। मेरे पास कोई निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) नहीं था। कुछ लोगों ने पीएसओ रखे थे, लेकिन मैंने नहीं। मैंने यहां सालों तक काम किया और यहां तक कि पुलवामा में एक शिवलिंग की स्थापना भी की। मुसलमानों ने मुझे ऐसा करने के लिए कहा क्योंकि मैंने उनके लिए वज़ूखाना (स्नान तालाब) बनवाया था और कई अन्य काम किए थे। उन्होंने कहा कि अगर मैंने उनके समुदाय के लिए भी कुछ नहीं किया तो हिंदू नाराज़ हो जाएंगे।"
सुश्री रैना ने नई दिल्ली में काम किया और फिर 2020 में निर्विरोध सरपंच चुनी गईं।
जम्मू और कश्मीर में लगभग 10 वर्षों के बाद पहली बार चुनाव होंगे और साथ ही 2019 में अनुच्छेद 370 के तहत विशेष दर्जा छीन लिए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश के रूप में भी यह पहला चुनाव होगा।
केंद्र शासित प्रदेश की 90 सीटों के लिए 18 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच तीन चरणों में मतदान होगा। मतगणना 8 अक्टूबर को होगी।
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