केंद्र तीन उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने के लिए तैयार है
ये जैकेट पॉलिमर और स्वदेशी बोरॉन कार्बाइड सिरेमिक सामग्री से बनाए गए हैं। डिजाइन विन्यास डीआरडीओ के सहयोग से उचित मॉडलिंग और सिमुलेशन के बाद उच्च तनाव दर पर विभिन्न सामग्रियों के लक्षण वर्णन पर आधारित है।
जैकेट के लिए कवच प्लेट प्रोटोकॉल के अनुसार सभी आवश्यक आरएंडडी परीक्षणों से गुजर चुके हैं। जैकेट उच्चतम खतरे के स्तर को पूरा करते हैं, और भारतीय सेना के संबंधित जनरल स्टाफ गुणात्मक आवश्यकता में निर्धारित अधिकतम वजन सीमा से हल्के हैं। विभिन्न बीआईएस स्तरों के लिए 8.2 किलोग्राम और 9.5 किलोग्राम के न्यूनतम संभावित वजन के साथ, ये मॉड्यूलर-डिज़ाइन जैकेट सामने और पीछे के कवच के साथ 360 डिग्री सुरक्षा प्रदान करते हैं।
चयन-मानदंड मैट्रिक्स के आधार पर, कुछ भारतीय उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और सहायता के लिए चुना गया था। केंद्र तीन उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने के लिए तैयार है।
इस उपलब्धि पर डीआईए-सीओई को बधाई देते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने कहा कि हल्के वजन की बुलेट प्रूफ जैकेट डीआरडीओ, शिक्षा जगत और उद्योग द्वारा सफल रक्षा अनुसंधान एवं विकास के प्रभावी पारिस्थितिकी तंत्र का उदाहरण है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास के लिए उद्योग और शिक्षा जगत को शामिल करने के लिए 2022 में आईआईटी दिल्ली में डीआरडीओ के संयुक्त उन्नत प्रौद्योगिकी केंद्र को संशोधित करके डीआईए-सीओई का गठन किया गया था। यह डीआरडीओ के वैज्ञानिकों, अकादमिक शोधकर्ताओं और उद्योग भागीदारों को शामिल करते हुए उन्नत प्रौद्योगिकियों पर विभिन्न परियोजनाओं को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है।
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