समाचार एजेंसीयो अनुसार, अभियोजन पक्ष ने कहा कि चश्मदीद ने पुष्टि की कि वह रुबैया सईद के अपहरण के समय उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर में गया था और उस जगह तथा उससे जुड़े लोगों की पहचान की थी।
मलिक, जो दिल्ली की तिहाड़ जेल में आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में जेल की सजा काट रहा है, उसको गृह मंत्रालय के आदेश के कारण उसके आंदोलन को प्रतिबंधित करने के कारण व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश नहीं किया गया था।
आज, रूबैया सईद अपहरण मामले के संबंध में टाडा अदालत के विशेष न्यायाधीश के समक्ष यासीन मलिक का मामला था। हमने दो चश्मदीद गवाहों नंबर 7 तथा नंबर 13 को तलब किया था। चश्मदीद नंबर 13 अदालत में मौजूद था तथा चश्मदीद नंबर 7 स्वास्थ्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सका।
समाचारएजेंसियों के हवाले से कहा गया है कि प्रत्यक्षदर्शी (13) का बयान दर्ज किया गया था और मलिक सुनवाई के दौरान वर्चुअल मोड के माध्यम से मौजूद थे तथा मामले के अन्य आरोपी भी अदालत में मौजूद थे।
भट ने कहा कि चश्मदीद गवाह, जिसने वर्चुअल मोड के माध्यम से मलिक की पहचान की, उसने एक अन्य आरोपी मोहम्मद जमान की भी खुली अदालत में पहचान की।
उन्होंने कहा कि चश्मदीद ने स्वीकार किया कि रुबैया सईद के अपहरण के एक दिन बाद वह एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी के साथ सोपोर गया था।
उन्होंने कहा, उनके बयान के अनुसार, वह वहां खान गेस्ट हाउस में दो आरोपियों से मिले तथा उन्होंने दोनों आरोपियों की पहचान की, जो अभियोजन पक्ष के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
भट ने कहा कि मलिक के बाद अपहरण के मामले में मुख्य आरोपी अली मोहम्मद मीर दो आरोपियों में से रुबैया सईद को अपने वाहन में श्रीनगर से सोपोर ले गया था तथा उसे खान गेस्ट हाउस में रखा था।
उन्होंने कहा कि जब प्रत्यक्षदर्शी श्रीनगर लौटे तो मीर ने उन्हें अपना वाहन दे दिया तथा प्रत्यक्षदर्शियों का वाहन सोपोर में रखा गया।
भट ने कहा कि चश्मदीद (13) ने अदालत में दो बार जगहों तथा आरोपियों की पहचान की।
अदालत ने अभियोजन पक्ष को मामले में दोनों गवाहों को सुनवाई की अगली तारीख 31 मार्च को पेश करने का निर्देश दिया है।
शुक्रवार को रुबैया सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुईं क्योंकि उनकी अनुपस्थिति के आवेदन को अदालत ने पहले ही मंजूरी दे दी थी। 15 जुलाई को पिछली सुनवाई के दौरान रुबैया ने मलिक समेत पांच आरोपियों की पहचान की थी।
रुबैया का 8 दिसंबर, 1989 को कथित रूप से श्रीनगर के लाल डेड अस्पताल के पास से अपहरण कर लिया गया था। पांच दिन बाद तत्कालीन वीपी सिंह सरकार, (भाजपा द्वारा समर्थित) भारत सरकार ने बदले में पांच आतंकवादियों को रिहा कर दिया था।
अब तमिलनाडु में रहने वाली रुबैया, को सीबीआई द्वारा अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जिसने 1990 की शुरुआत में इस मामले को संभाला था।
56 वर्षीय मलिक पिछले साल मई में एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद से तिहाड़ जेल में बंद है। उसे 2019 की शुरुआत में एनआईए द्वारा दर्ज 2017 के उग्रवाद वित्तपोषण मामले के संबंध में गिरफ्तार किया गया था।
मलिक ने पिछले साल जुलाई में 10 दिनों की भूख हड़ताल की थी, जब भारत सरकार ने अपहरण के मामले की सुनवाई कर रही जम्मू की अदालत में शारीरिक रूप से पेश होने की उनकी याचिका का जवाब नहीं दिया था।
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