कश्मीर की खूबसूरती को बयां कराती एक कविता जिसे खुद भारती सेना के एक कप्तान द्वारा लिखी गयी है। वास्तव में किसी ने सच ही कहा है की अगर दुनिया में कही भी जन्नत है तो वह यहीं है। इन्ही बातों को सच करती हुई यह कविता जिसे आज हम सबको जरूर पढ़नी चाहिए।
इस कविता के लेखक है कैप्टन अंकित झा, एक सौ छब्बीस हल्की वायु रक्षा रेजिमेंट
क्यों…ख़ुदा ने कश्मीर बना दिया
रूह-ए-फ़िरदौस की सोची ख़ुदा ने
कश्मीर बना दिया …..
वक़्त को वक़्त की ख़ूबसूरती देखनी थी ,
कश्मीर बना दिया …..
पीर-पंजाल के पार दुआ करनी थी ,
कश्मीर बना दिया …..
राह-ए-जन्नत में जन्नत बसानी थी ,
कश्मीर बना दिया …..
वादियों में वफ़ा की सैर करनी थी ,
कश्मीर बना दिया …..
सेबों से सब्र का हुनर सीखना था ,
कश्मीर बना दिया …..
बाबा बर्फ़ानी से मिलना था ,
कश्मीर बना दिया …..
दुनिया के ज़ख्मों को सिलना था ,
कश्मीर बना दिया …..
चिनार की आबरू में घुलना था ,
कश्मीर बना दिया …..
झेलम की कशिश को सुनना था ,
कश्मीर बना दिया …..
तारीफ़ भी तारीफ़ से शरमा जाये ,
ऐसा नूर बना दिया …..
रूह-ए-फ़िरदौस की सोची ख़ुदा ने और ,
कश्मीर बना दिया …..
कश्मीर बना दिया …..॥
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