जम्मू-कश्मीर सरकार सभी जिलों में नशा करने वालों का डेटाबेस तैयार करने पर विचार कर रही है।


जम्मू और कश्मीर: समाचार एजेंसियों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं के खतरे और नार्को-व्यापार की तीव्रता के कारण डेटाबेस तैयार करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई है।

पुलिस ने नार्को-ट्रेड में शामिल कई मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है।

सूत्रों ने बताया कि नशाखोरों का डाटाबेस तैयार करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के निचले पायदान के कर्मचारियों तथा ग्राम प्रतिनिधियों की सेवाएं ली जाएंगी।

उपायुक्त कुपवाड़ा, डॉ डोईफोड सागर ने पहले ही संबंधित अधिकारियों, आशा कार्यकर्ताओं, पीआरआई, नंबरदारों और चौकीदारों की सेवाओं का उपयोग करने का निर्देश दिया है ताकि नशा करने वालों का एक डेटाबेस तैयार किया जा सके जिससे की उनका उचित पुनर्वास किया जा सके।

सूत्रों ने कहा कि कश्मीर घाटी के अन्य जिलों के प्रमुख भी इसका पालन करेंगे तथा वे भी उसी दिशा में आगे बढ़ेंगे।

युवाओं को नशीली दवाओं के दुरुपयोग तथा दुष्प्रभावों से बचाने के लिए घाटी में नशीली दवाओं की तस्करी और इसके सेवन की श्रृंखला को तोड़ने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा, सरकार स्कूलों तथा कॉलेजों में फिल्मों की स्क्रीनिंग और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने सहित विभिन्न तरीकों का उपयोग करके छात्रों को नशीली दवाओं के खतरे के बारे में बताएगी। अधिकारी ने कहा कि आने वाले दिनों में सरकार नशीले पदार्थों के खिलाफ अभियान तेज करेगी।

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