सेना ने बताया कि स्थानीय नागरिक प्रशासन के समन्वय से चलाए गए राहत अभियान में विशेष रूप से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए स्वास्थ्य जांच और मनोवैज्ञानिक सहायता भी शामिल थी।

सेना के प्रवक्ता ने बताया कि युद्ध क्षेत्र से परे राष्ट्रीय सेवा के अपने संकल्प को दोहराते हुए, सेना के जवानों ने डोर-टू-डोर जाकर प्रभावित परिवारों को खाद्य सामग्री, आवश्यक दवाइयाँ और चिकित्सा सहायता प्रदान की।
कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और लगातार खतरे के माहौल के बावजूद सैनिक नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे दूरदराज के गांवों तक पहुंचे। राहत कार्यों में विशेष रूप से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए स्वास्थ्य जांच और मनोवैज्ञानिक सहयोग भी शामिल रहा।
सेना की मेडिकल टीमों ने घायलों और जरूरतमंदों के लिए तत्काल उपचार की व्यवस्था की, जिससे उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति में सुधार लाने में मदद मिली। प्रभावित गांवों में अस्थायी चिकित्सा शिविर भी स्थापित किए गए हैं, जिनके माध्यम से निरंतर निगरानी और सहायता सुनिश्चित की जा रही है।
सेना ने बताया कि प्रत्येक घर में वर्दीधारी जवानों ने व्यक्तिगत रूप से जाकर न केवल आवश्यक वस्तुएं वितरित कीं, बल्कि संकट की घड़ी में आश्वासन और सहानुभूति भी व्यक्त की। इससे तनावग्रस्त समुदायों में सुरक्षा, विश्वास और एकजुटता की भावना उत्पन्न हुई है।
यह मानवीय पहल जम्मू-कश्मीर के संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में नागरिकों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना के समर्पित प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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