जांच अधिकारी को अपनी रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपने के लिए तीस दिन का समय दिया गया है। उक्त पूछताछ में मुख्य अभियोजन अधिकारी, पुलिस मुख्यालय सुहैब अशरफ प्रस्तुतकर्ता अधिकारी होंगे।
25 अप्रैल, 2013 के फैसले में उच्च न्यायालय की टिप्पणियों तथा निर्देशों को आगे बढ़ाते हुए, जगदेव सिंह, ईएक्सजे 905447, तत्कालीन एसएचओ डोमाना के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई थी। बाद में, जम्मू तथा कश्मीर सिविल सेवा के नियम 33 के संदर्भ में (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1956 में उनके (जगदेव सिंह) खिलाफ लगाए गए आरोपों की गहन जांच के आदेश दिए गए थे। योगिंदर कौल, आईपीएस, तत्कालीन आईजीपी, आईआर, जम्मू को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था।जांच अधिकारी ने 7 अक्टूबर, 2015 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने अन्य बातों के साथ-साथ यह निष्कर्ष निकाला कि अधिकारी के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं हो सके तथा तदनुसार यह सिफारिश की गई कि आरोपित अधिकारी को आरोपों से मुक्त किया जा सकता है।
"मामले की आगे गृह विभाग में जांच की गई तथा मामले के तथ्यों के आधार पर विशेष रूप से उच्च न्यायालय द्वारा प्राथमिकी 58/2003 से संबंधित मामले की जांच तथा अभियोजन के दौरान बताई गई विसंगतियों के आधार पर, जिसमें अपराधी अधिकारी शामिल था, सक्षम प्राधिकारी ने जगदेव सिंह, EXJ 905447, तत्कालीन एसएचओ, पुलिस स्टेशन, दोमाना के खिलाफ लगाए गए आरोपों की नए सिरे से जांच करने की मंजूरी दे दी है।
"अब, इसलिए, जम्मू और कश्मीर सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1956 के नियम 33 के अनुसार, इम्तियाज इस्माइल पर्रे, आईपीएस, डीआईजी प्रशिक्षण, पुलिस मुख्यालय, जम्मू-कश्मीर को जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाता है। तथा तत्कालीन एसएचओ दोमाना (अब सेवानिवृत्त एसपी) जगदेव सिंह, ईएक्सजे 905447 के खिलाफ लगाए गए आरोपों की नए सिरे से जांच की जाये।
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