कश्मीरी पंडित की हत्या के बाद पुलवामा में मुस्लिम समुदाय भी शोक में डूबा हुआ है।

शर्मा की हत्या से पूरे मुस्लिम मोहल्ले में शोक की लहर दौड़ गई।


पुलवामा: दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में रविवार की सुबह अचन गांव में जैसे ही संजय शर्मा की हत्या की खबर फैली, इलाके में मातम छा गया।

शर्मा को उनके घर की ओर जाने वाली सड़क पर सुबह करीब 9:30 बजे आतंकवादियों ने काफी करीब से गोली मार दी थी।

गोलियां उसके सीने में आर-पार हो गईं और उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

शर्मा जम्मू-कश्मीर बैंक में एटीएम गार्ड के रूप में काम कर रहे थे। सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करने के लिए उन्होंने कुछ साल पहले अपनी निजी शिक्षण नौकरी छोड़ दी थी। उनके परिवार में पत्नी तथा तीन बच्चों है।  

वह अपने परिवार तथा तीन भाइयों के साथ एक ही घर में रह रहा थे। शर्मा का परिवार उन कुछ परिवारों में से एक था, जिन्होंने नब्बे के दशक में कश्मीरी पंडित समुदाय के विस्थापन के बाद कश्मीर में रहना चुना था। शर्मा की हत्या से पूरे मुस्लिम मोहल्ले में भी शोक की लहर दौड़ गई।

स्थानीय लोगो ने बताया की हम उसे बचपन से जानते हैं। वह एक सज्जन व्यक्ति थे। पूरा गांव समान रूप से उनके परिवार के दर्द तथा दुख को साझा करता है। जैसे ही शर्मा का निर्जीव शरीर उनके घर लाया गया, पूरे गाँव में उदासी छा गई।

उसके परिवार के कानों की चिल्‍लाहटों के बीच कुछ मुस्लिम महिलाओं को उसकी पत्‍नी को दिलासा देने के लिए जद्दोजहद करते देखा जा सकता है।

पूरे दिन मुस्लिम पड़ोसि लोगो का उनके परिवार को सांत्वना देने के लिए शर्मा के घर पर तांता लगा रहा। गांव के लोगो ने कहा की  हम हमेशा एक-दूसरे के साथ अच्छे तथा बुरे वक़्त में खड़े रहेंगे। उन्होंने लकड़ी भी इकट्ठी की और शर्मा की अंतिम यात्रा के लिए चिता बनाई।

घटना के तुरंत बाद, स्थानीय निवासियों के एक समूह ने शर्मा की हत्या की निंदा करने के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मासूम लोगों की हत्या के खिलाफ नारेबाजी की तथा पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग की।

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